श्री कृष्णा जन कल्याण समिति की तरफ से आप सभी देशवासियों को दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाये ||||
यह पर्व आपके जीवन में अपार खुशिया लाए
सोवरन शर्मा अरुण शर्मा विशाल शर्मा
संस्था संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय मीडिया हेड
Contact No:- 9411403566 9675533621 8433014467
Shree Krishna Jan Kalyan Samiti REGD (NGO)
दिवाली/दीपावली क्या है?
दिवाली/दीपावली प्रकाश का त्योहार है। दिवाली/दीपावली दीयों का त्योहार भी है। सभी सड़कें और इमारतें रंग-बिरंगी रोशनी से चमक रहीं हैं। दिवाली के चार आयाम हैं:
- दिए जलाना : दिवाली पर प्रकाश करने का अर्थ है ज्ञान के प्रकाश को चारों ओर फैलाना।
- पटाखे :जब बाहर कोई धमाका होता है, तो अन्दर का धमाका तितर-बितर हो जाता है। पटाखों का यही महत्व है।
- उपहार का आदान-प्रदान और मिठाई बांटना : मिठाई किसी भी प्रकार की कड़वाहट को मिटा देती है और फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का प्रतीक है।
- समृद्धि का अनुभव : इस दिन हमें जीवन में जो भी कुछ मिला है, उसके लिए हम कृतज्ञ होते हैं।
दिनांक | दिन | तिथि |
४ नवम्बर | रविवार |
गोवत्स द्वादशी | Govatsa Dwadashi
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५ नवम्बर | सोमवार |
धनतेरस |Dhanteras
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६ नवम्बर | मंगलवार |
नरक चतुर्दशी |Naraka Chaturdashi
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७ नवम्बर | बुधवार |
लक्ष्मी पूजन | Lakshmi Pooja
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८ नवम्बर | गुरूवार |
गोवर्धन पूजा (बलि प्रतिपदा)
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९ नवम्बर | शुक्रवार |
भाईदूज |Bhai Dooj
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जब जीवन में ज्ञान का उदय होता है, तब उत्सव होता है। किसी भी उत्सव में हम अपना होश खो सकते हैं। प्राचीन ऋषि इस बात को जानते थे, इसलिए उन्होंने हर उत्सव में कुछ पवित्रता और धार्मिक पूजा भी जोड़ दिए जिससे हम उत्सव के उल्लास में अपना होश न खो बैठें। तो आईये, इस दिवाली हम ज्ञान का उत्सव मनाएं। जीवन में कृतज्ञ महसूस करें, तभी आपको और मिलेगा।
समय और आकाश अनंत हैं। रेत के कणों को गिन नहीं सकते। इस ब्रह्माण्ड में अनगिनत अणु-परमाणु हैं व अनगिनत तारे और आकाशगंगा हैं। इसी प्रकार हमारे ग्रह पर जो जीवन है, उसका न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत है क्योंकि जीवन गोलाकार है। एक गोले की न तो कोई शुरुआत होती है और न ही कोई अंत होता है, उसकी न कोई दिशा होती है और न ही कोई लक्ष्य। सत्य की कोई दिशा नहीं होती और कोई लक्ष्य भी नहीं होता। सत्य खुद ही लक्ष्य है और सत्य अनंत है।
इस सीमित शरीर में हम अनंतता को महसूस कर पायें; जितना समय इस जीवन में मिला है उसमें हम समय के पार जा पाएं; हर दुःख के भीतर छिपे परम आनंद को हम ढूँढ पाएं – बस इसी के लिए हमने जन्म लिया है।
दिवाली का महत्व
आज प्रकाश का त्यौहार है। दीवाली का मतलब है प्रकाश का त्यौहार। आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है। यह त्यौहार सारे भारत, नेपाल, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और दक्षिण अफ्रीका में मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाएं देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। दिवाली के समय हम अतीत के सारे दुःख भूल जाते हैं। जो कुछ भी दिमाग में भरा पड़ा हो, आप पटाखे चलाते हो और सब भूल जाते हो। पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है। यही दिवाली है।
एक मोमबत्ती पर्याप्त नहीं है। हर किसी को खुश और प्रकाशित होना होगा। हर किसी को खुश और बुद्धिमान होना होगा। बुद्धिमता का प्रकाश प्रज्वलित हो चुका है। रोशनी को ज्ञान का द्योतक मानते हुए हम ज्ञान रूपी प्रकाश करते है, और आज उत्सव मनाते हैं। आप क्या कहते हो?
एक मोमबत्ती पर्याप्त नहीं है। हर किसी को खुश और प्रकाशित होना होगा। हर किसी को खुश और बुद्धिमान होना होगा। बुद्धिमता का प्रकाश प्रज्वलित हो चुका है। रोशनी को ज्ञान का द्योतक मानते हुए हम ज्ञान रूपी प्रकाश करते है, और आज उत्सव मनाते हैं। आप क्या कहते हो?
अतीत को जाने दो, भूल जाओ
अतीत को जाने दो, भूल जाओ। जीवन का उत्सव बुद्धिमता से मनाओ। बुद्धिमता के बिना वास्तव में उत्सव नहीं मनाया जा सकता। बुद्धिमता यह जान लेना है कि ईश्वर मेरे साथ है। आज के दिन हम सब के पास जो भी सम्पति है उसे देखो। याद रखो आप के पास बहुत सारी सम्पति है और पूर्णता महसूस करो। नहीं तो मन हमेशा कमी में ही रहेगा, "ओह यह नहीं है.... वो नहीं है, इसके लिए दुखी, उसके लिए दुखी।" कमी की ओर से प्रचुरता की ओर बढ़ो। प्राचीन पद्वति है कि अपने सामने सभी सोने चांदी के सिक्के रखे जाते हैं, आप अपनी सारी सम्पति सामने रखते हो और कहते हो, "देखो भगवान ने मुझे इतना सब दिया है। मैं बहुत आभारी हूँ।" बाईबल में कहा गया है जिनके पास है उन्हें और मिलेगा, और जिनके पास नहीं है, जो भी थोड़ा बहुत है वो भी ले लिया जायेगा। उसकी प्रचुरता महसूस करो। तब आपको पता चलेगा आपको बहुत दिया गया है।
तब हम लक्ष्मी पूजा करते हैं। धन और एश्वर्य की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, और गणेश - चेतना का आवेग जो हमारे रास्ते के सारे विघ्न हर लेते है - यह जप आज के दिन किया जाता है।
दौलत हमारे भीतर है
यूरोप में २७ राष्ट्र हैं। हम हर राष्ट्र के लिए एक दिया जलाएंगे। तब हम कुछ देर के लिए ध्यान करेंगे। जब हम ध्यान करते हैं हम सार्वभौमिक आत्मा को अपनी प्रचुरता के लिए धन्यवाद देते हैं। हम और ज्यादा के लिए भी प्रार्थना करतें हैं ताकि हम और ज्यादा सेवा कर सकें। सोना चांदी केवल एक बाहिरी प्रतीक है। दौलत हमारे भीतर है। भीतर में बहुत सारा प्रेम, शांति और आनंद है। इससे ज़्यादा दौलत आपको और क्या चाहिए? बुद्धिमत्ता ही वास्तविक धन है। आप का चरित्र, आपकी शांति और आत्म विश्वास आपकी वास्तविक दौलत है। जब आप ईश्वर के साथ जुड़ कर आगे बढ़ते हो तो इससे बड़कर कोई और दौलत नहीं है। यह शाही विचार तभी आता है जब आप ईश्वर और अनंतता के साथ जुड़ जाते हो। जब लहर यह याद रखती है कि वह समुद्र के साथ जुड़ी हुई है और समुद्र का हिस्सा है तो विशाल शक्ति मिलती है।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने यह दिवाली सन्देश साल २००९ में दिया था।
दीपावली/दीवाली कैसे मनाए | How to celebrate Diwali/Deepavali Festival Of Lights In Hindi
दिवाली, जिसे संपूर्ण विश्व में प्रकाश के त्यौहार के रूप में जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की, अंधकार पर प्रकाश की तथा अज्ञान पर ज्ञान की विजय का त्यौहार है। आज के दिन घरों में रोशनी न केवल सजावट के लिए होती है,किंतु यह जीवन कथा सत्य को भी अभिव्यक्त करती है। प्रकाश अंधकार को मिटा देता है, और जब ज्ञान के प्रकाश से आपके अंदर का अंधकार मिट जाता है, आप में अच्छाई बुराई पर विजय प्राप्त कर लेती हैंl
इस पावन पर्व दिवाली को क्यों मनाया जाता है (Why Diwali is Celebrated?)
वैसे तो इस उत्सव से संबंधित बहुत सी गाथाएं हैं-
- दिवाली मुख्यतः प्रत्येक हृदय में ज्ञान के प्रकाश को प्रज्वलित करने के लिए मनाई जाती है, प्रत्येक घर में जीवन, प्रत्येक मुख पर मुस्कान लाने के लिए मनाई जाती है।
- दिवाली शब्द दीपावली का लघु रूप है, जिस का शाब्दिक अर्थ है प्रकाश की पंक्ति। जीवन के बहुत से पहलुओं तथा स्तर होते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप उन सभी पर प्रकाश डालें क्योंकि यदि आपके जीवन का एक भी पहलू अंधकार मय होगा तो, आपका जीवन कभी भी पूर्णता अभिव्यक्त नहीं हो सकेगा।
- इसलिए दिवाली में दीपों की पंक्तियां प्रज्वलित की जाती है कि आपको ध्यान रहे कि आपके जीवन के प्रत्येक पहलू को आपके ध्यान की तथा ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता है।
- आपके द्वारा प्रज्वलित प्रत्येक दीप, सदगुण का प्रतीक है।प्रत्येक मनुष्य में सद्गुण होते हैं। कुछ में धैर्य होता है, कुछ में प्रेम, शक्ति, उदारता: अन्य में लोगों को संगठित करने की क्षमता होती है। आप में स्थित प्रकट मूल्य दिए के समान है।जैसे ही वह प्रज्ज्वलित हो जाएं,जागृत हो जाएं,दीवाली है।
दिवाली/दीपावली पर्व के गहरे अर्थ को जाने।
केवल एक ही दीप का प्रज्वलित कर संतुष्ट न हो, हज़ार दीप प्रज्वलित करें। यदि आप में सेवा (Seva) का भाव है, केवल उससे ही संतुष्ट न हो, अपने में ज्ञान का दीप जलाएं, ज्ञान अर्जित करें। अपने अस्तित्व के सभी पहलुओं को प्रकाशित करें।
दिवाली का एक और गुण रहस्य पटाखों के फूटने में है। जीवन में आप कई बार पटाखों के समान होते हैं, अपनी दबी हुई भावनाओं, हताशा तथा क्रोध के साथ फूट पढ़ने के लिए तैयार। जब आप अपने राग-द्वेष, घृणा को दबाये रखते हैं फूट पढ़ने की सीमा पर पहुंच जाता है। पटाखे फोड़ने की क्रिया का प्रयोग हमारे पूर्वजों द्वारा, लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति देने के लिए, एक मनोवैज्ञानिक अभ्यास के रूप में किया गया।
जब आप बाहर विस्फोट देखते हैं तो आप अपने अंदर भी वैसी सम्वेदनाओं का अनुभव करते हैं। विस्फोट के साथ बहुत सा प्रकाश निकलता है। जब आप अपनी दबी हुई भावनाओं से मुक्त होते हैं तब आप खाली हो जाते हैं तथा अपने ज्ञान के प्रकाश का उदय होता है।
ज्ञान की सभी जगह आवश्यकता है। यदि परिवार का एक भी व्यक्ति अंधकार में है,आप खुश नहीं रह सकते। अतः आप को अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य में ज्ञान का प्रकाश स्थापित करना होगा। इससे समाज के प्रत्येक सदस्य तक ले जाएं, पृथ्वी के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाएं।
जब सच्चा ज्ञान उदित होता है, उत्सव होता है। अधिकतर उत्सव में हम अपनी सजगता अथवा एकाग्रता को देते हैं।उत्सव में सजगता बनाए रखने के लिए, हमारे ऋषि यों ने प्रत्येक उत्सव को पवित्रता तथा पूजा विधियों से जोड़ दिया है। इसलिए दिवाली भी पूजा का समय है। दिवाली का आध्यात्मिक पहलू, उत्सव में गांभीर्य लाता है। प्रत्येक उत्सव में आध्यात्म होना चाहिए क्योंकि आध्यात्म से हीन उत्सव असत ही होता है।
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