श्री कृष्णा जन कल्याण समिति द्वारा स्थापित रामा देवी बालगुरूकुल के छात्र-छात्राओ को बाल दिवस के अवसर पर बच्चो को बाल दिवस के बारे में जानकारी दी गयी तथा बताया गया की बाल दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके साथ-साथ बच्चो को खेल तथा न्रत्य प्रतियोगिता भी कराइ गयी जिसमे समस्त बच्चों ने भाग लिया तथा समस्त कार्यक्रमों का आरम्भ सरस्वती वंदना कर के किया गया कार्यक्रमों में बड़े बच्चो के साथ-साथ छोटे बच्चों ने भी अपनी अहम् भूमिका निभाई उन्होंने चुटकुले, कहानी, कविता सुनकर समस्त संस्था सदस्यों तथा कार्यकर्ताओ का मन मोह लिया कार्यक्रम का समापन सभी बच्चों में मिठाई का वितरण कर व् पठन सामग्री वितरण कर किया गया जिसमे संस्था सचिव सोबरन शर्मा, अध्यक्ष अरुण शर्मा,मीडिया प्रभारी विशाल शर्मा तथा कार्यकर्त्ता अंशुल,अंकित,अभिषेक आदि लोग भी शामिल रहे तथा अपनी-अपनी भूमिका निभाई
अरुण शर्मा (9675533621)
Education is most powerful weapon which you can use to change the world without education you can not do anything...... Regards Shree Krishna Jan Kalyan Samiti
You Tube
Tuesday, 21 November 2017
राष्ट्रीय लोक अदालत रैली
श्री कृष्णा जन कल्याण समिति द्वारा आयोजित रामा देवी बाल गुरुकुल के छात्र-छात्राओ द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत पर रैली निकली गयी जिसका संचालन ऐडवोकेट संदीप यादव ने किया जिसमे संस्था सचिव सोवरन शर्मा, अध्यक्ष अरुण शर्मा, मीडिया प्रभारी विशाल शर्मा तथा कार्यकर्त्ता अंशुल, अंकित, अभिषेक, आदि लोग भी शामिल रहे रैली का उद्देश्य दिन-प्रतिदिन कोर्ट में बढ़ रहे केस की तुरंत सुनबाई केलिए लोक अदालत जाने तथा बहा पर अपने मुकदमे की जल्द सुनबाई करने के उदेश्य से रैली का आयोजन किया गया था
Monday, 20 November 2017
एक रोचक कथा गरीबो की करो सहायता
एक प्रयाश गरीबो की सहायता को जन जागरूकता अभियान (श्री कृष्णा जन कल्याण समिति)
मैं एक घर के करीब से गुज़र रहा था की अचानक से मुझे उस घर के अंदर से एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई। उस बच्चे की आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर वह बच्चा क्यों रो रहा है, यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका।
अंदर जा कर मैने देखा कि एक माँ अपने दस साल के बेटे को आहिस्ता से मारती और बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती। मैने आगे हो कर पूछा बहनजी आप इस छोटे से बच्चे को क्यों मार रही हो? जब कि आप खुद भी रोती हो।
उस ने जवाब दिया भाई साहब इस के पिताजी भगवान को प्यारे हो गए हैं और हम लोग बहुत ही गरीब हैं, उन के जाने के बाद मैं लोगों के घरों में काम करके घर और इस की पढ़ाई का खर्च बामुश्किल उठाती हूँ और यह कमबख्त स्कूल रोज़ाना देर से जाता है और रोज़ाना घर देर से आता है।
जाते हुए रास्ते मे कहीं खेल कूद में लग जाता है और पढ़ाई की तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता है जिस की वजह से रोज़ाना अपनी स्कूल की वर्दी गन्दी कर लेता है। मैने बच्चे और उसकी माँ को जैसे तैसे थोड़ा समझाया और चल दिया।
इस घटना को कुछ दिन ही बीते थे की एक दिन सुबह सुबह कुछ काम से मैं सब्जी मंडी गया। तो अचानक मेरी नज़र उसी दस साल के बच्चे पर पड़ी जो रोज़ाना घर से मार खाता था। मैं क्या देखता हूँ कि वह बच्चा मंडी में घूम रहा है और जो दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सब्ज़ी खरीद कर अपनी बोरियों में डालते तो उन से कोई सब्ज़ी ज़मीन पर गिर जाती थी वह बच्चा उसे फौरन उठा कर अपनी झोली में डाल लेता।
मैं यह नज़ारा देख कर परेशानी में सोच रहा था कि ये चक्कर क्या है, मैं उस बच्चे का चोरी चोरी पीछा करने लगा। जब उस की झोली सब्ज़ी से भर गई तो वह सड़क के किनारे बैठ कर उसे ऊंची ऊंची आवाज़ें लगा कर वह सब्जी बेचने लगा। मुंह पर मिट्टी गन्दी वर्दी और आंखों में नमी, ऐसा महसूस हो रहा था कि ऐसा दुकानदार ज़िन्दगी में पहली बार देख रहा हूँ ।
अचानक एक आदमी अपनी दुकान से उठा जिस की दुकान के सामने उस बच्चे ने अपनी नन्ही सी दुकान लगाई थी, उसने आते ही एक जोरदार लात मार कर उस नन्ही दुकान को एक ही झटके में रोड पर बिखेर दिया और बाज़ुओं से पकड़ कर उस बच्चे को भी उठा कर धक्का दे दिया।
वह बच्चा आंखों में आंसू लिए चुप चाप दोबारा अपनी सब्ज़ी को इकठ्ठा करने लगा और थोड़ी देर बाद अपनी सब्ज़ी एक दूसरे दुकान के सामने डरते डरते लगा ली। भला हो उस शख्स का जिस की दुकान के सामने इस बार उसने अपनी नन्ही दुकान लगाई उस शख्स ने बच्चे को कुछ नहीं कहा।
थोड़ी सी सब्ज़ी थी ऊपर से बाकी दुकानों से कम कीमत। जल्द ही बिक्री हो गयी, और वह बच्चा उठा और बाज़ार में एक कपड़े वाली दुकान में दाखिल हुआ और दुकानदार को वह पैसे देकर दुकान में पड़ा अपना स्कूल बैग उठाया और बिना कुछ कहे वापस स्कूल की और चल पड़ा। और मैं भी उस के पीछे पीछे चल रहा था।
बच्चे ने रास्ते में अपना मुंह धो कर स्कूल चल दिया। मै भी उस के पीछे स्कूल चला गया। जब वह बच्चा स्कूल गया तो एक घंटा लेट हो चुका था। जिस पर उस के टीचर ने डंडे से उसे खूब मारा। मैने जल्दी से जा कर टीचर को मना किया कि मासूम बच्चा है इसे मत मारो। टीचर कहने लगे कि यह रोज़ाना एक डेढ़ घण्टे लेट से ही आता है और मै रोज़ाना इसे सज़ा देता हूँ कि डर से स्कूल वक़्त पर आए और कई बार मै इस के घर पर भी खबर दे चुका हूँ।
खैर बच्चा मार खाने के बाद क्लास में बैठ कर पढ़ने लगा। मैने उसके टीचर का मोबाइल नम्बर लिया और घर की तरफ चल दिया। घर पहुंच कर एहसास हुआ कि जिस काम के लिए सब्ज़ी मंडी गया था वह तो भूल ही गया। मासूम बच्चे ने घर आ कर माँ से एक बार फिर मार खाई। सारी रात मेरा सर चकराता रहा।
सुबह उठकर फौरन बच्चे के टीचर को कॉल की कि मंडी टाइम हर हालत में मंडी पहुंचें। और वो मान गए। सूरज निकला और बच्चे का स्कूल जाने का वक़्त हुआ और बच्चा घर से सीधा मंडी अपनी नन्ही दुकान का इंतेज़ाम करने निकला। मैने उसके घर जाकर उसकी माँ को कहा कि बहनजी आप मेरे साथ चलो मै आपको बताता हूँ, आप का बेटा स्कूल क्यों देर से जाता है।
वह फौरन मेरे साथ मुंह में यह कहते हुए चल पड़ीं कि आज इस लड़के की मेरे हाथों खैर नही। छोडूंगी नहीं उसे आज। मंडी में लड़के का टीचर भी आ चुका था। हम तीनों ने मंडी की तीन जगहों पर पोजीशन संभाल ली, और उस लड़के को छुप कर देखने लगे। आज भी उसे काफी लोगों से डांट फटकार और धक्के खाने पड़े, और आखिरकार वह लड़का अपनी सब्ज़ी बेच कर कपड़े वाली दुकान पर चल दिया।
अचानक मेरी नज़र उसकी माँ पर पड़ी तो क्या देखता हूँ कि वह बहुत ही दर्द भरी सिसकियां लेकर लगा तार रो रही थी, और मैने फौरन उस के टीचर की तरफ देखा तो बहुत शिद्दत से उसके आंसू बह रहे थे। दोनो के रोने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन्हों ने किसी मासूम पर बहुत ज़ुल्म किया हो और आज उन को अपनी गलती का एहसास हो रहा हो।
उसकी माँ रोते रोते घर चली गयी और टीचर भी सिसकियां लेते हुए स्कूल चला गया। बच्चे ने दुकानदार को पैसे दिए और आज उसको दुकानदार ने एक लेडी सूट देते हुए कहा कि बेटा आज सूट के सारे पैसे पूरे हो गए हैं। अपना सूट ले लो, बच्चे ने उस सूट को पकड़ कर स्कूल बैग में रखा और स्कूल चला गया।
आज भी वह एक घंटा देर से था, वह सीधा टीचर के पास गया और बैग डेस्क पर रख कर मार खाने के लिए अपनी पोजीशन संभाल ली और हाथ आगे बढ़ा दिए कि टीचर डंडे से उसे मार ले। टीचर कुर्सी से उठा और फौरन बच्चे को गले लगा कर इस क़दर ज़ोर से रोया कि मैं भी देख कर अपने आंसुओं पर क़ाबू ना रख सका।
मैने अपने आप को संभाला और आगे बढ़कर टीचर को चुप कराया और बच्चे से पूछा कि यह जो बैग में सूट है वह किस के लिए है। बच्चे ने रोते हुए जवाब दिया कि मेरी माँ अमीर लोगों के घरों में मजदूरी करने जाती है और उसके कपड़े फटे हुए होते हैं कोई जिस्म को पूरी तरह से ढांपने वाला सूट नहीं और और मेरी माँ के पास पैसे नही हैं इस लिये अपने माँ के लिए यह सूट खरीदा है।
तो यह सूट अब घर ले जाकर माँ को आज दोगे? मैने बच्चे से सवाल पूछा। जवाब ने मेरे और उस बच्चे के टीचर के पैरों के नीचे से ज़मीन ही निकाल दी। बच्चे ने जवाब दिया नहीं अंकल छुट्टी के
बाद मैं इसे दर्जी को सिलाई के लिए दे दूँगा। रोज़ाना स्कूल से जाने के बाद काम करके थोड़े थोड़े पैसे सिलाई के लिए दर्जी के पास जमा किये हैं।
टीचर और मैं सोच कर रोते जा रहे थे कि आखिर कब तक हमारे समाज में गरीबों और विधवाओं के साथ ऐसा होता रहेगा उन के बच्चे त्योहार की खुशियों में शामिल होने के लिए जलते रहेंगे आखिर कब तक।
क्या ऊपर वाले की खुशियों में इन जैसे गरीब विधवाओंं का कोई हक नहीं ? क्या हम अपनी खुशियों के मौके पर अपनी ख्वाहिशों में से थोड़े पैसे निकाल कर अपने समाज मे मौजूद गरीब और बेसहारों की मदद नहीं कर सकते।
आप सब भी ठंडे दिमाग से एक बार जरूर सोचना ! ! ! !
और हाँ अगर आँखें भर आईं हो तो छलक जाने देना संकोच मत करना..
अगर हो सके तो इस लेख को उन सभी सक्षम लोगो को बताना ताकि हमारी इस छोटी सी कोशिश से किसी भी सक्षम के दिल मे गरीबों के प्रति हमदर्दी का जज़्बा ही जाग जाये और यही लेख किसी भी गरीब के घर की खुशियों की वजह बन जाये।
अरुण शर्मा (9675533621),
आगरा महानगर अध्यक्ष,
श्री कृष्णा जन कल्याण समिति
Sunday, 19 November 2017
शिक्षा का महत्व्
शिक्षा का महत्त्व/Importance of Education
Importance of Education/शिक्षा का महत्त्व
शिक्षा का महत्त्व:- कलम ने इस देश मे अनेक बार इतिहास लिखा, कलम का मतलब शिक्षा है, शिक्षा अच्छी व बुरी हो सकती है लेकिन जिन लोगों ने अच्छी शिक्षा का महत्व को समझा और
उस पर विचार व अमल किया उन महान पुरुषों ने इस देश व समाज को एक नई दिशा दी
ओर वे सदा के लिए इतिहास मे स्थान बना गए। हमारे इतिहास में ऐसे हजारो
उदहारण है जैसे महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु आदि ने शिक्षा ब अपनी सोच के आधार
पर हमे अंग्रेजो से मुक्त कराकर हमारे देश को स्वंत्रता दिलाई थी
शिक्षा ही बताती
है अच्छे और बुरे में फर्क:- क्योंकि शिक्षा ही आपको जीवन जीना सिखाती है अच्छे बुरे का फर्क बताती है। अगर आप सामान्य भाषा में शिक्षा की बात करे तो वह आपको शिक्षित कहलाने का हक़ देता है। उससे ऊपर अगर आप शिक्षा ग्रहण करते है और जिस स्तर की शिक्षा आप ग्रहण करते है वह आपके लिए आपके भविस्य को सुधारने में सहायक सिद्ध होती है।
शिक्षा और ज्ञान
कभी भी कम नही होता:- दोस्तों शिक्षा और आपका ज्ञान एक ऐसी वस्तु है जो कभी भी समाप्त नही
होती बल्कि जितना आप उसका प्रचार करोगे या किसी को डोज इससे आपका ज्ञान बढेगा ही इसका
ना तो चोरी हो जाने का भय रहता है और ना ही खो जाने का
शिक्षा के
प्रकार:- क्या इन सब से हट कर कुछ और भी हो सकता है शिक्षा का अर्थ या परिभाषा? अगर आप सही मायने में देखे तो शिक्षा दो प्रकार की हो सकती है:
1) अर्थोपार्जन
2) बौद्धिक विकास
बौद्धिक विकास की शिक्षा भी दो तरह की हो सकती है
1) आत्म विकास
2) सामाजिक उपयोग में लाने वाली शिक्षा
शिक्षा को आप किसी भी दायरे में नहीं बांध सकते है यह अविरल है स्वक्ष पानी की तरह।
1) अर्थोपार्जन
2) बौद्धिक विकास
बौद्धिक विकास की शिक्षा भी दो तरह की हो सकती है
1) आत्म विकास
2) सामाजिक उपयोग में लाने वाली शिक्षा
शिक्षा को आप किसी भी दायरे में नहीं बांध सकते है यह अविरल है स्वक्ष पानी की तरह।
किस शिक्षा की
आवश्यकता:- अब सवाल उठता है की हमारे समाज को कौन सी शिक्षा की आवश्यकता है?
तो दोस्तों हमारे समाज और देश को दोनों तरह की शिक्षा की आवश्यकता है जब तक हमारा बौद्धिक विकास नहीं होगा हम यह समझने के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे की अच्छा क्या है? बुरा क्या है?। अर्थोपार्जन वाली शिक्षा इसीलिए जरुरी है क्योंकि समाज अपने आप को गरीबी की जीवन से ऊपर कर सकेगा।
तो दोस्तों हमारे समाज और देश को दोनों तरह की शिक्षा की आवश्यकता है जब तक हमारा बौद्धिक विकास नहीं होगा हम यह समझने के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे की अच्छा क्या है? बुरा क्या है?। अर्थोपार्जन वाली शिक्षा इसीलिए जरुरी है क्योंकि समाज अपने आप को गरीबी की जीवन से ऊपर कर सकेगा।
संगती का असर पड़ता
है शिक्षा पर:-ऐसी शिक्षा का क्या महत्त्व है? जब कोई गरीव स्कूल जाए लेकिन पढ़ ना पाए बर्तमान समय में इतने स्कूल है फिर भी
हमारे समाज का विकास नही है दोस्तों पढने बाला और जिसको कुछ सीखना हो तो बह कही से
भी सिख सकता है क्योंकि स्कूल
कभी शिक्षा नहीं देता है, पढ़ने वाला कही से भी पढ़ लेता है उसको किसी इंटरनेशनल स्कूल की जरुरत नहीं। आप
शिक्षा को बढ़ावा दीजिये, लोगो में जागरूकता फैलाये। पढ़ना हर कोई चाहता है लेकिन हालात कभी यह करने नहीं देता है या कभी आपकी बुरी संगती ऐसा करने नहीं देती।
शिक्षा को दे बढ़ावा:- शिक्षा को बढ़ावा देने के उपायों पर सोचे ना की
स्कूलों के बारे में। आज ज्यादा बच्चे स्कूल छोड़ रहे है हमारे समय के
वनिस्पत क्यों किसी ने सोचा है जबकि आज बच्चों को खाना, पैसा, ड्रेस, किताब, कॉपी फिर भी हाल पहले से बदतर तो सोचना कहाँ होगा यह देखने वाली बात है।
भवन कभी आपके पढ़ने में सहायक हो सकता है लेकिन उन्नति करने के लिए
मजबूर नहीं कर सकता है।
निष्कर्ष:-आपको समझाना होगा लोगो को उसकी उपयोगिता बतानी होगी। उन्हें आपको अपना उदाहरण देकर समझाना होगा। जब तक आप उदाहरण पेश नहीं करेंगे लोग आकर्षित नहीं हो पाएंगे,
क्योंकि जब तक लोग आकर्षित नही होगे जब तक आपके समझाने का कोई भी फायदा नही है फायदा तभी
पहुंचेगा जब लोग आपकी बात से आकर्षित होगे । कभी कोई चीज आसान नहीं होती है उसे आसान बनाना
पड़ता है लगातार कोशिश करनी पड़ती है। मैं जब गाँव जाता हूँ तो अपने स्कूल जरूर जाता हूँ, इसीलिए की देखना चाहता हूँ की टीचर कैसे पढ़ाते है अगर उनको किसी चीज़ की परेशानी है तो मैं दूर कर सकूँ तो अवश्य करता हु ।
धन्यवाद।
Saturday, 18 November 2017
बच्चो के साथ दीपावली के कुछ पल
दोस्तों हम हिन्दुओ में दीपावली का बड़ा महत्त्व है इस दिन भगवान राम रावन का वध कर तथा अपना वनवास पूर्ण कर अपने घर अयोध्या वापस आये थे इस अवसर पर अयोध्यावासियो ने घी के दिए जलाये थे तथा सम्पूर्ण अयोध्या को प्रकाश वान बनाया था
दोस्तों दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक भी माना जाता है
तथा इसी अवसर पर श्री कृष्णा जन कल्याण समिति द्वारा स्थापित रामा देवी बालगुरूकुल के छात्र-छात्राओ द्वारा विधालय परिसर में रंगोली बनाकर व् सभी बच्चो में संस्था द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुये भी वितरित की गयी जिससे सभी बच्चो में ख़ुशी की एक अलग ही झलक दिखाई पड़ी
Subscribe to:
Posts (Atom)
Coverage by editor of Print media
Thanks to Editor of Print And Electronic Media for always support us with your wonderful coverage. #CMYogi #BJP4UP #PMModiji #BJP4IND #PMNa...
-
अब कोई तथाकथित सेकुलर आगे नहीं आएगा मीडिया नहीं दिखाएगी सब दलाल हैं यह मेरी मानसिक कायरता थी कि मैं टप्पल, अलीगढ़ की #ट्वींकल_शर्मा प...
-
*रिश्ते_में_दरार*कागज का एक टुकड़ा✍️ राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे ...