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Saturday, 28 April 2018

प्रकृति का नियम है कर्मों का हिसाब देना पड़ता है

⭕ ​कर्मों का हिसाब देना पड़ता है 🤔

🔷 एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे ।
उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता
वे उसे मना नहीं करते थे ।

सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि ​"भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ?​

​इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?"​

🔷 जो लोग ईमानदार होते वो कहते - "सेठ जी
हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे ।"

और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते - "सेठ जी !
हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे ।"

और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि "क्या मूर्ख सेठ है !

अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है ।"

ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे

और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था ।
जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता ।

🔷 एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार मांगने पहुँचा ।
उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है ।

हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था ।

चोर ने सेठ से कुछ रुपये उधार मांगे, सेठ ने मुनीम को बुलाकर उधार देने को कहा ।

मुनीम ने चोर से पूछा - "भाई !
इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में ?"

🔷 चोर ने कहा - "मुनीम जी ! मैं यह रकम अगले जन्म में लौटाऊँगा ।"

🔷 मुनीम ने तिजोरी खोलकर पैसे उसे दे दिए ।

चोर ने भी तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मूर्ख सेठ की तिजोरी आज रात में उड़ा दूँगा ।

वो रात में ही सेठ के घर पहुँच गया और वहीं भैंसों के तबेले  में छिपकर सेठ के सोने का इन्तजार करने लगा ।

अचानक चोर ने सुना कि भैंसे आपस में बातें कर रही हैं और वह चोर भैंसों की भाषा ठीक से समझ पा रहा है ।

🔷 एक भैंस ने दूसरी से पूछा - "तुम तो आज ही आई हो न, बहन !"

उस भैंस ने जवाब दिया - “हाँ, आज ही सेठ के तबेले में आई हूँ, सेठ जी का पिछले जन्म का कर्ज़ उतारना है और तुम कब से यहाँ हो ?”

उस भैंस ने पलटकर पूछा तो पहले वाली भैंस ने बताया - "मुझे तो तीन साल हो गए हैं, बहन ! मैंने सेठ जी से कर्ज़ लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी ।

सेठ से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आयी ।

अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूँ ।
जब तक कर्ज़ की रकम पूरी नहीं हो जाती तब तक यहीं रहना होगा ।”

🔷 चोर ने जब उन भैंसों की बातें सुनी तो होश उड़ गए और वहाँ बंधी भैंसों की ओर देखने लगा ।

वो समझ गया कि ​उधार चुकाना ही पड़ता है,​

​चाहे इस जन्म में या फिर अगले जन्म में उसे चुकाना ही होगा ।​

वह उल्टे पाँव सेठ के घर की ओर भागा और जो कर्ज़ उसने लिया था उसे फटाफट मुनीम को लौटाकर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया ।

🐘🐫🐪🐅🐆🦍🐂

🔶 ​हम सब इस दुनिया में इसलिए आते हैं​

​क्योंकि हमें किसी से लेना होता है तो किसी का देना होता है ।​

इस तरह से प्रत्येक को कुछ न कुछ लेने देने के हिसाब चुकाने होते हैं ।

इस कर्ज़ का हिसाब चुकता करने के लिए इस दुनिया में कोई बेटा बनकर आता है
तो कोई बेटी बनकर आती है,
कोई पिता बनकर आता है,
तो कोई माँ बनकर आती है
कोई पति बनकर आता है,
तो कोई पत्नी बनकर आती है,
कोई प्रेमी बनकर आता है,
तो कोई प्रेमिका बनकर आती है,
कोई मित्र बनकर आता है,
तो कोई शत्रु बनकर आता है,
कोई पढ़ोसी बनकर आता है तो कोई रिश्तेदार बनकर आता है ।

चाहे दुःख हो या सुख हिसाब तो सबको देना ही पड़ता हैं ।
ये प्रकृति का नियम है

एक नारी की पुकार.....

एक नारी की पुकार.....
क्या घूर रहे हो?
वक्ष मेरे??
लब मेरे
या कमर मेरी?
इन्हें देख
उत्तेजित हो रहे?
क्या मन कर रहा
मुझे दबोचने का?
नोचने-खखोरने का??
एक बात पूछती हूँ
सच-सच बताना
तुम्हारे घर में भी तो
खूबसूरत-सुडौल वक्षों की
कई जोड़ियाँ होंगी
क्या उन्हें भी
ऐसे ही
भूखे भेड़ियों की तरह
घूरा करते हो?
क्या उन्हें भी देख
अपनी लार टपकाते हो?
वासनाएँ चरम पर
पहुँचती हैं तुम्हारी??
आसानी से न
मिल पाने पर
हिंसक हो जाते हो???
अच्छा चलो
जाने दो इस बात को
ये बताओ
जिस तरह
तुम अपनी आँखों से
नग्न कर, बलात्कार
करते हो मेरा
कोई और भी तो
जरूर करता होगा
तुम्हारी भी बहन का?
क्या हुआ?
क्रोध आ गया?
खून खौल गया??
इज़्ज़त पर
आँच आ गई?
जैसे तुम्हारी बहन की
इक इज़्ज़त है
मान-सम्मान, मर्यादा है
मेरी भी तो है।
मैं
तुम्हारी आखों में
अपने लिए
प्रेम चाहती हूँ
सम्मान और
मर्यादा चाहती हूँ
वासना नहीं
कोई हिंसा नहीं
निश्छल, निस्वार्थ प्रेम
मैं केवल और केवल
प्रेम चाहती हूँ ।
===============
===============
बेटी जब शादी के मंडप से...
ससुराल जाती है तब .....
पराई नहीं लगती.
मगर ......
जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है.
जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है.
जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है.
जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है.
जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है.....
और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है.
लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद
जब वह चुपके से
अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती
😪😪😪😪😪😪😪😪
Dedicate to all Girls..
नहीं चाहिए हिस्सा भइया
मेरा मायका सजाए रखना
कुछ ना देना मुझको
बस प्यार बनाए रखना
पापा के इस घर में
मेरी याद बसाए रखना
बच्चों के मन में मेरा
मान बनाए रखना
बेटी हूँ सदा इस घर की
ये सम्मान सजाये रखना।
Dedicated to all married girls .....
बेटी से माँ का सफ़र (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)
बेटी से माँ का सफ़र
बेफिक्री से फिकर का सफ़र
रोने से चुप कराने का सफ़र
उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र
पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी ।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।
पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं ।
पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी
आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में छुपाया करती हैं ।
पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।
आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं ।
माँ,माँ कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।
आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।
10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।
आज 7 बजे उठने पर भी
लेट हो जाया करती हैं ।
खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है ।
पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी ।
अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर
कहलाया करती हैं ।
एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं ।
ना जाने कब किसी की बेटी
किसी की माँ बन गई ।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .....
😭😭😭😭😭

🚩बेटी है तो कल हे।🚩
🚩बहुत प्यारी होती है बेटीया न जाने लोग बोज समझते है बेटीया🚩

चरित्रहीन....

चरित्रहीन.... 

पूरी कहानी पढ़ें तभी आपको समझ में आएगा कि सत्य क्या है और गलती स्त्री की होती है पुरुष की तभी आपको पता चलेगा

एक बार 1 बुजुर्ग को उनके बातो से प्रभावित हो एक औरत ने उन्हें अपने घर खाने का निमंत्रण दिया । बुजुर्ग निमंत्रण स्वीकार कर उस औरत के घर भोजन के लिए चल पड़े । रास्ते में जब लोगों ने उस औरत के साथ बुजुर्ग को देखा तो, एक आदमी उनके पास आया और बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे? बुजुर्ग ने बताया कि वह इस औरत के निमंत्रण पर उसके घर भोजन के लिए जा रहे हैं, यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इस औरत के घर न जाऐं आप की अत्यंत बदनामी होगी क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है। इसके बावजूद बुजुर्ग न रुके, कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। आनन फानन में गांव का मुखिया दौडता हुआ आ गया और बुजुर्ग से उस औरत के यहां न जाने का अनुरोध करने लगा। विवाद होता देख बुजुर्ग ने सबको शांत रहने को कहा, फिर मुस्कराते हुए मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोले क्या अब तुम ताली बजा सकते हो? मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी । इस पर बुजुर्ग मुस्कुराते हुए बोले जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली औरत कैसे चरित्रहीन हो सकती है जब तक कि एक पुरुष उसे चरित्रहीन बनने पर बाध्य न करे। चरित्रहीन पुरुष ही एक औरत को चरित्रहीन बनाने में जिम्मेदार है। यह कैसी विडम्बना है कि इस कथित " पुरुष प्रधान समाज के अभिमान में ये पुरुष अपनी झूठी शान के लिए औरत को केवल अपने उपभोग की वस्तु भर समझता है और भूल जाता है कि जिस औरत को वह चरित्रहीन कह रहा है उसका जिम्मेदार वह स्वयं है।

कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे?

🌿🌾एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था।

🌿🌾एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।''

🌿🌾"ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता
हूूं।'' कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा।

🌿🌾तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।''

🌿🌾"ठीक है, मैं देखता हूं।'' कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया।

🌿🌾बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली।

🌿🌾थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा।

🌿🌾उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?''

🌿🌾पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया।

🌿🌾वह बोला, "ठीक है, तू
थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।'' कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया।

🌿🌾उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली।

🌿🌾अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर पड़ी।

🌿🌾उसने अपनी पैनी चोंच से गाय के मांस का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे लेकर घोंसले पर जा पहुंचा।

🌿🌾यह देखकर गिद्ध का बच्चा  एकदम से बिगड़ उठा, "पिताजी, ये
तो गाय का गोश्त है।

🌿🌾 मुझे तो इन्सान का गोश्त खाना है। क्या आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकते?''

🌿🌾यह सुनकर गिद्ध बहुत शर्मिंदा हुआ।

🌿🌾 उसने मन ही मन एक
योजना बनाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकल पड़ा।

🌿👤गिद्ध ने सुअर के गोश्त एक बड़ा सा टुकड़ा उठाया और उसे
मस्जिद की बाउंड्रीवाल के अंदर डाल दिया।

🌿👤 उसके बाद उसने गाय का गोश्त उठाया और उसे मंदिर के पास फेंक दिया।

🌿👤मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों ने अपना काम किया और देखते ही पूरे शहर में आग लग गयी।

🌿👤 रात होते-होते चारों ओर इंसानों की लाशें बिछ गयी।

🌿👤यह देखकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ।

🌿👤उसने एक इन्सान के
शरीर से गोश्त का बड़ा का टुकड़ा काटा और उसे लेकर अपने
घोंसले में जा पहुंचा।

🌿🌾यह देखकर गिद्ध का पुत्र बहुत प्रसन्न हुआ।

🌿🌾 वह बोला, "पापा ये कैसे हुआ? इन्सानों का इतना ढेर
सारा गोश्त आपको कहां से मिला?"

🌿👤गिद्ध बोला, "बेटा ये इन्सान कहने को तो खुद को बुद्धि के
मामले में सबसे श्रेष्ठ समझता है,

🌿👤पर जरा-जरा सी बात पर
'जानवर' से भी बदतर बन जाता है और बिना सोचे-समझे मरने-
मारने पर उतारू हो जाता है।

🌿👤 इन्सानों के वेश में बैठे हुए अनेक गिद्ध ये काम सदियों से कर रहे हैं।

🌿👤मैंने उसी का लाभ उठाया
और इन्सान को जानवर के गोश्त से जानवर से भी बद्तर बना दियाा।''

🌿👥साथियो, क्या हमारे बीच बैठे हुए गिद्ध हमें कब तक अपनी
उंगली पर नचाते रहेंगे?

🌿👥और कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे?

🌿👥अगर आपको यह कहानी सोचने के लिए विवश कर दे, तो प्लीज़ इसे दूसरों तक भी पहुंचाए।

🌿👥क्या पता आपका यह छोटा सा प्रयास इंसानों के बीच छिपे हुए किसी गिद्ध को इन्सान बनाने
का कारण बन जाए।

स्त्री की चाहत क्या है ?

स्त्री की चाहत क्या है ?

मनोविज्ञान भी जिस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सका, वो यह था कि आखिर स्त्री चाहती क्या है ?
पुराने समय की बात है जो आज भी लागू होती है। एक विद्वान् को फाँसी लगनी थी। राजा ने कहा---जान बख्श देंगे यदि सही उत्तर मिल जाये आखिर स्त्री चाहती क्या है ?
विद्वान् ने कहा----यदि कुछ समय मिले तो पता करके बता सकता हूँ। एक साल का समय चाहिए, राजा ने समय दे दिया। वह बहुत घूमा कहीं से भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। आखिर में किसी ने कहा----यहाँ से दूर एक चुड़ैल रहती है वही बता सकती है। वह विद्वान् उस चुड़ैल के पास गया और अपनी समस्या उसके सामने प्रस्तुत की। उस चुड़ैल ने कहा---कि मैं इस पण (शर्त) पर बताऊँगी यदि तुम मुझसे विवाह करो। उसने सोचा जान बचाने के लिए विवाह करना उचित होगा उस विद्वान् पुरुष ने विवाह  की सहमति दे दी।
विवाह होने के बाद चुड़ैल ने कहा----तुमने मेरी बात मान ली है, तो मैंने तुम्हें खुश करने के लिए फैसला किया है कि मैं 12 घण्टे में चुड़ैल और 12 घण्टे खूबसूरत परी बनके रहूँगी, अब तुम ये बताओ कि दिन में चुड़ैल रहूँ या रात को।
उसने सोचा यदि वह दिन में चुड़ैल हुई तो दिन नहीं कटेगा, रात में हुई तो रात नहीं कटेगी।
अंत में उस विद्वान् कैदी ने कहा----जब तुम्हारा मन करे परी बन जाना, जब मन करे चुड़ैल बनना।
ये बात सुनकर चुड़ैल ने प्रसन्न होके कहा----तुमने मुझे स्वतन्त्र रहने की छूट देदी है, तो मैं हमेशा ही परी बन के रहा करूँगी।
यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है।
स्त्री अपनी स्वतन्त्रता में रहना चाहती है।
यदि स्त्री को अपनी इच्छा से रहने देंगे तो, वो परी बनी रहेगी वरना चुड़ैल
फैसला आपका खुशी आपकी
स्त्रियों को उनके मन की इच्छा पूरी करने दें।यह उत्तर उस विद्वान् ने जब राजा को उसके दरबार में सुनाया तब राजा ने उचित समझकर उसे फाँसी की सजा से मुक्त कर दिया।

इच्छापूर्ति वॄक्ष

  एक घने जंगल में एक इच्छापूर्ति वृक्ष था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी इच्छा करने से वह तुरंत पूरी हो जाती थी।
                यह बात बहुत कम लोग जानते थे..क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई हिम्मत ही नहीं करता था।
                  एक बार संयोग से एक थका हुआ व्यापारी उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गई।
                 जागते ही उसे बहुत भूख लगी ,उसने आस पास देखकर सोचा- ' काश कुछ खाने को मिल जाए !' तत्काल स्वादिष्ट पकवानों से भरी थाली हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई।
                   व्यापारी ने भरपेट खाना खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा..
                काश कुछ पीने को मिल जाए..' तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक शरबत आ गए।
                  शरबत पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा-   ' कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ।
            हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा न ही सुना..जरूर इस पेड़ पर कोई भूत रहता है जो मुझे खिला पिला कर बाद में मुझे खा लेगा  ऐसा सोचते ही तत्काल उसके सामने एक भूत आया और उसे खा गया।
              इस प्रसंग से आप यह सीख सकते है कि हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे  वह आपको अवश्य मिलेगी।
               अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसलिए मिलतीहैं.....
क्योंकि वे बुरी चीजों की ही कामना करते हैं।
                   इंसान ज्यादातर समय सोचता है-कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ ..और वह बीमार हो जाता हैं..!
             
                इंसान सोचता है - मेरी किस्मत ही खराब है .. और उसकी किस्मत सचमुच खराब हो जाती हैं ..!
     
              इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है..!
                इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।
               यदि गलत विचार अंदर आ जाएगे तो गलत परिणाम मिलेंगे। विचारों पर काबू रखना ही अपने जीवन पर काबू करने का रहस्य है..!
            आपके विचारों से ही आपका  जीवन या तो..
स्वर्ग बनता है या नरक..उनकी बदौलत ही आपका जीवन सुखमय या दुख:मय बनता है..
              विचार जादूगर की तरह होते है , जिन्हें बदलकर आप अपना जीवन बदल सकते है..!
           इसलिये सदा सकारात्मक सोच रखें .. यदि आप अच्छा सोचने लगते हैतो पूरी कायनात आपको और अच्छा देने में लग जाती है।

Monday, 9 April 2018

School Drive Campaign Public awareness campaign

In the middle of April 2 to April 30, with the aim of motivating parents to educate the parents about education, to explain the importance of education, to send them to the Vidyalaya regularly, by visiting members of Shree Krishna Jan Kalyan Samiti.





Coverage by editor of Print media

 Thanks to Editor of Print And Electronic Media for always support us with your wonderful coverage. #CMYogi #BJP4UP #PMModiji #BJP4IND #PMNa...