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Saturday, 31 March 2018

हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाये

NEW DELHI: Hanuman Jayanti is a celebration of the birth of Lord Hanuman. Every year, this day is celebrated on full moon day of Chaitra month of the Hindu calendar. This year, the festival is celebrated on March 31. Hanuman, son of wind-god Pawan, is described to have superhuman-like qualities in the scriptures.

On Hanuman Jayanti, people recite the Hanuman Chalisa, which has 40 verses. The verses, believed to have been authored by Tulsidas, sing about the qualities of Hanuman such has his superhuman strength, his courage and bravery, devotion to Rama and Sita and so on.

On this day, devotees visit temples dedicated to Lord Hanuman and offer special prayers and chant mantras such as Hanuman Chalisa and Sundar Kaand. Others observe a day long fast to commemorate Hanuman Jayanti.

Saturday, 24 March 2018

Seminar for legal right of woman

Members of Association for Advocacy And Legel Intiatives (AALI) 
My first Seminar in Lucknow at Parijat Guest house organised by @Association for Advocacy And Legel Intiatives (AALI) for the legal right 👉 of 👩 woman and attended by many organisation and Ngo from all over India and I learn many things from this event......

Arun Sharma (9675533621)
Founder:- Shree krishna Jan Kalyan Samiti
Website:- http://shreekrishnajankalyansamiti.org/



Saturday, 17 March 2018

Navratri Pooja Special Tips in Hindi | नवरात्र व्रत, कन्या पूजन विधि , विसर्जन विधि



Navratri Special Tips in Hindi, नवरात्र का पर्व, भारत में हिन्दू धर्म ग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरुपो की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। हिन्दू पंचांग की गणना के अनुसार Navratri वर्ष में चार माह – चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक नौ दिन के होते हैं, लेकिन लोग चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य रूप से मनाते है । नौ दिन और रात्रि के समावेश होने के कारन इस पर्व को Navratri (नवरात्र ) के नाम से जानते है । नवरात्रों में लोग अपनी मनोकामना सिद्ध करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51 पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं।
नवरात्र शब्द, नव अहोरात्रों का बोध कराता है। नव मतलब शक्ति के नौ रूप । अहोरात्रों शब्द रात्रि और सिद्धि का प्रतीक है। शास्त्रों में उपासना और सिद्धियों के लिये दिन से अधिक रात्रियों को महत्त्व दिया जाता है।

Navratra kyu manaya jate hai | नवरात्र क्यों मनाये जाते है

1. महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए नौ दिनों तक माँ दुर्गा और महिषासुर का महासंग्राम चला , अंततः महिषासुर का वध करके माँ दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं । तभी से हर्षो -उल्लाश के साथ Navratra Pooja का शुभारम्भ हुआ ।
2. एक दूसरी कथा के अनुसार जब राम को युद्ध में रावण को पराजित करना था । तब श्रीराम ने नौ दिनों तक ब्रत और पूजा विधि के अनुसार चंडी पूजन की और युद्ध में विजय हासिल की । अधर्म पर धर्म की इस विजय के कारण लोगो ने नवरात्र का पूजन शुरू किया था ।

Navratri vrat me kya kare | नवरात्री व्रत के दौरान क्या करें

  • जैसा की हम सभी जानते है की लाल रंग माँ को सर्वोपरी है । इसलिए माँ को प्रश्सन करने के लिए लाल रंग के वस्तुओ का उपयोग करे जैसे की माँ का वस्त्र,आसन ,फूल इत्यादि
  • सुबह और शाम दीपक प्रज्जवलित करें आरती और भजन करे । संभव हो तो वहीं बैठकर माँ का पाठ , सप्तसती और दुर्गा चालीसा पढ़े
  • नवरात्री में ब्रह्मचर्य का पालन करे
  • नवरात्र में लहशुन प्याज का उपयोग वर्जित करे
  • सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक उपयोग में लाये
  • दिन में कतई न सोये
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखे
  • नवरात्री मे व्रत रखने वाले को जमीन पर सोना चाहिए।
  • नवरात्र के अन्तिम दिन कुवारी कन्याओ को घर बुलाकर भोजन अवश्य कराए। नव कन्याओं को नव दुर्गा रूप मान कर पुजन करे और आवभगत करे
  • नवरात्री के दिनों मे हर एक व्यक्ति खासकर व्रतधारी को क्रोध, मोह, लोभ आदि दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए।
  • अष्टमी-नवमीं पर विधि विधान से कंजक पूजन करें और उनसे आशीर्वाद जरूर लें।
  • नवरात्रे के आखिरी दिन पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से माँ की विदाई यानि की विसर्जन कर दे ।

Navratri vrat me kya nahi kare | नवरात्री व्रत के दौरान क्या नहीं करें

  • दाढ़ी-मूंछ, बाल और नहीं कटवाने चाहिए
  • अखंड ज्योति जलाने वालों को नौ दिनों तक अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए
  • पूजा के दौरान किसी भी तरह के बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए
  • काला रंग का कपड़ा वर्जित करे क्योंकि यह रंग शुभ नहीं माना जाता है
  • मॉस, मछली , उत्त्जेक पदार्थ जैसे शराब ,गुटखा और सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए
  • किसी का दिल दुखाना , झूट बोलने से बचे
  • नौ दिन तक व्रत रखने वाले को अश्थियों (मुर्दो) शव के पास नहीं जाना चाहिए
  • शारीरक संबध बनाने से बचे

Navratra me kin-kin deviyo ki pooja ki jati hai?

नवरात्र में नौ दिन तक माँ चंडी के नौ विभिन्न स्वरुपो की पूजा होती है ।
  • शैलपुत्री
  • ब्रह्मचारिणी
  • चंद्रघंटा
  • कूष्माण्डा
  • स्कन्दमाता
  • कात्यायनी
  • कालरात्रि
  • महागौरी
  • सिद्धिदात्री

नवरात्र कलश स्थापना की विधि । Navratri Kalash Sthapana Vidhi in Hindi

धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। हिन्दू धर्म में ऐशी धारणा है की कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।

कलश स्थापना के लिए सामग्री | Navratri Kalash Sthapna ki samagri

  • घट स्थापना के लिए मिट्टी ,सोना, चांदी, तांबा अथवा पीतल का कलश । याद रखे, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • मिट्टी का पात्र, मिट्टी और जौ :- जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र और शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमे की जौ को बोया जा सके
    कलश में भरने के लिए शुद्ध जल अथवा अगर गंगाजल मिल जाये तो उत्तम होता है
  • कलश ढकने के लिए ढक्कन
  • पानी वाला नारियल और इसपर लपेटने के लिए लाल कपडा
  • मोली (Sacred Thread) लाल सूत्र
  • इत्र
  • साबुत सुपारी
  • दूर्वा
  • कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के
  • पंचरत्न
  • अशोक या आम के पत्ते
  • ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल
  • फूल माला

कलश स्थापना विधि

सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर ले उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछा ले । कपड़े पर थोड़ा चावल रख ले और गणेश जी का स्मरण करे । तत्पश्चात मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए । पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए । कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांध ले और चारो तरफ कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बना ले । कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल, सिक्का डालें । उसके ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए उसके ऊपर नारियल, जिस पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। ध्यान रहे कि नारियल का मुख उस सिरे पर हो, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।
अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें की नौ दिनों के लिए वह इस में विराजमान हो । अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई इत्र वगैरा समर्पित करें।

Navratri me Maa ka Bhog | नवरात्र में मां का भोग

1 पहला पूजा : घी का भोग लगाएं और दान करें, बीमारी दूर होती है।
2. दूसरा पूजा : शक्कर का भोग लगाएं और उसका दान करें, आयु लंबी होती है।
3 तीसरा पूजा : दूध का भोग लगाएं और इसका दान करें, दु:खों से मुक्ति मिलती है।
4.चौथा पूजा : मालपुए का भोग लगाएं और दान करें, कष्टों से मुक्ति मिलती है।
5 पांचवां और छठा पूजा : केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें, परिवार में सुख-शांति रहेगी और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
6 सातवां पूजा : गुड़ की चीजों का भोग लगाएं और दान भी करें, गरीबी दूर होती है।
7.आठवां दिन: नारियल का भोग लगाएं और दान करें, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
8. नौवां दिन: अनाजों का भोग लगाएं और दान करें ,सुख-शांति मिलती है।

Navratri kanya pujan vidhi | कन्या पूजन विधि

कन्या पूजन जिसे लोंगड़ा पूजन भी कहते है अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन किया जा सकता है । जिसको करने की विधि कुछ इस प्रकार से है
  • नौ कुँवारी कन्याओं को सादर पुर्वक आमंत्रित करे
  • घर में प्रवेश करते ही कन्याओं के पाँव धोएं और उचित आसन पर बिठाए
  • हाथ में मौली बांधे और माथे पर बिंदी लगाएं।
  • उनकी थाली में हलवा-पूरी और चने परोसे।
  • कन्या पूजन के लिए पूजा की थाली जिसमें दो पूरी और हलवा-चने रख ले और बीच में आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं।
  • कन्या पूजन के बाद सभी कन्याओं को अपनी थाली में से यही प्रसाद खाने को दें।
  • अब कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भी भेंट में देऔर चरण छुएं और उनके प्रस्थान के बाद स्वयं प्रसाद खाले।

नवरात्र पूजा विसर्जन विधि | Navratri visarjan vidhi in Hindi

  • कन्या पूजन के पश्चात एक पुष्प एवं चावल के कुछ दाने हथेली में लें और संकल्प लें|
  • कलश में स्थापित नारियल और चढ़ावे के तौर पर सभी फल, मिष्ठान्न आदि को स्वयं भी ग्रहण करें और परिजनों को भी दें|
  • घट के पवित्र जल का पूरे घर में छिडकाव करें और फिर सम्पूर्ण परिवार इसे प्रसाद स्वरुप ग्रहण करें|
  • घट में रखें सिक्कों को अपने गुल्लक में रख सकते हैं, बरकत होती है|
  • माता की चौकी से सिंहासन को पुनः अपने घर के मंदिर में उनके स्थान पर ही रख दें|
  • श्रृंगार सामग्री में से साड़ी और जेवरात आदि को घर की महिला सदस्याएं प्रयोग कर सकती हैं|
  • श्री गणेश की प्रतिमा को भी पुनः घर के मंदिर में उनके स्थान पर रख दे|
  • चढ़ावे के तौर पर सभी फल, मिष्ठान्न आदि को भी परिवार में बांटें|
  • चौकी और घट के ढक्कन पर रखें चावल एकत्रित कर पक्षियों को दें|
  • माँ दुर्गे की प्रतिमा अथवा तस्वीर, घट में बोयें गए जौ एवं पूजा सामग्री, सब को प्रणाम करें और समुन्द्, नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें|
  • विसर्जन के पश्चात एक नारियल, दक्षिणा और चौकी के कपडें को किसी ब्राह्मण को दान करें|

श्री कृष्णा जन कल्याण समिति की तरफ से हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक बधाई

Hindu Navavarsha Wishes in Hindi हिन्दू पंचांग का शुभारम्भ गुड़ी पडवा वाले दिन से होता हैं। गुड़ी पड़वा हिन्दू नव वर्ष जिसे चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता हैं। इस दिन से नया साल शुरू होता हैं यह हिंदी वर्ष चैत्र से फाल्गुन तक माना जाता हैं। यह अंग्रेजी पंचागानुसार प्रतिवर्ष मार्च अथवा अप्रैल में मनाया जाता हैं।

 
भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार विक्रम संवत हैं। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी से हुई थी। यह कैलेन्डर राजा विक्रमादित्य के शासन काल में जारी हुआ था। इसलिए इसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता हैं। इसी के अनुसार हर वर्ष नवरात्र के पहले दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है।

हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
Hindu Navavarsha Ki Hardik Shubhkamnaye

चारों तरफ हो खुशियाँ ही खुशियाँ
मीठी पुरनपोली और गुजियाँ ही गुजियाँ
द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात
आसमान में हर तरफ पतंगों की बारात
सभी को शुभ को नव वर्ष हर बार

ऋतू से बदलता हिन्दू साल
नये वर्ष की छाती मौसम में बहार
बदलाव दिखता पृकृति में हर तरफ
ऐसे होता हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार

हिंदू नव वर्ष की हैं शुरुवात
कोयल गाये हर डाल- डाल पात-पात
चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा का हैं अवसर
खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल

नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं
ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं
हम यूँही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाते
हिन्दू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते



शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार
मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार

वृक्षों पर सजती नये पत्तो की बहार
हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार
ऐसा सजता हैं गुड़ी का त्यौहार
मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार

नौ दुर्गा के आगमन से सजता हैं नव वर्ष
गुड़ी के त्यौहार से खिलता हैं नव वर्ष
कोयल गाती हैं नववर्ष का मल्हार
संगीतमय सजता प्रकृति का आकार
चैत्र की शुरुवात से होता नव आरंभ
यही हैं हिन्दू नव वर्ष का शुभारम्भ

घर में आये शुभ संदेश
धरकर खुशियों का वेश
पुराने साल को अलविदा हैं भाई
हैं सबको नवीन वर्ष की बधाई

Coverage by editor of Print media

 Thanks to Editor of Print And Electronic Media for always support us with your wonderful coverage. #CMYogi #BJP4UP #PMModiji #BJP4IND #PMNa...